Kundali Darpan - Dr. Narayan Dutt Shrimali

कुण्डली दर्पण

फलकथन तथा ग्रहों के आधार को ध्यान में रखकर भविष्यफल स्पष्ट करना ज्योतिष विज्ञान में सम्भवतः सर्वाधिक कठिन कार्य है।

कुण्डली में कुल बारह भाव होते हैं। यह बारह भाव जीवन के विशिष्ट पहलुओं को अपने आप में समेटे हुए हैं और इन भावों के अध्ययन से मनुष्य का पूरा जीवन विवेचित किया जा सकता है। प्रत्येक भाव अपने आप में स्वतन्त्र होते हुए भी एक-दूसरे से पूर्णतः सम्बन्धित है। ज्योतिष विज्ञान के सिद्धान्तों के आधार पर इन भावों का फलकथन किस प्रकार किया जाये, यही इस पुस्तक का विषय है।

'ओरिएंट पेपरबैक्स' के माध्यम से 'कुण्डली दर्पण' का नवीन परिवर्तित एवं परिवर्द्धित संस्करण प्रकाशित हो रहा है। इसमें सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित दो अध्याय भी सम्मिलित किये गये हैं। 'कुण्डली-रहस्य' जिससे प्रामाणिक एवं अचूक भविष्य-कथन किया जा सकता है। 'जन्मकुण्डली: एक प्रैक्टिकल अध्ययन' शीर्षक अध्याय में एक कुण्डली को आधार बनाकर भविष्यफल स्पष्ट करने की विधि समझाई गयी है। इन दोनों अध्यायों के जुड़ जाने से पुस्तक की उपयोगिता बहुत अधिक बढ़ गयी है।

-डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली

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डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली 

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