ज्योतिष-योग दीपिका
₹ 275
ज्योतिष का मूल आधार, ग्रह, उनकी गति और उनका पारस्परिक सम्बन्ध है। किन्हीं भी दो या दो से अधिक ग्रहों के संयोग, सम्बन्ध तथा सहयोग से विशेष योग का निर्माण होता है, जो जीवन को दिव्य, उपवल या निम्न स्तर का बनाता है।
फलित शास्त्र में योगों का सर्वाधिक महत्त्व है। पाराशर ने योग को फलित शास्त्र की कजी कहा है। उनके अनुसार, जिसने योग तथा ग्रह स्थितियों के रहस्य को समझ लिया, उसने सब कुछ समझ लिया और वह भविष्य को पहचान सकता है। ज्योतिष-रहस्य को तब तक नहीं समझा जा सकता, जब तक सम्पूर्ण ज्योतिष के योगों का संगोपांग अध्ययन न कर लिया जाये।
इस पुस्तक में ज्योतिष के अनेक प्रसिद्ध योग, उनकी परिभाषा, उनसे निष्पन्न फल एवं सम्बन्धित टिप्पणी देकर विषय को पूर्ण स्पष्ट कर दिया गया है। पुस्तक में उन सभी योगों का वर्णन है, जिनका समावेश 'ज्योतिष योग चन्द्रिका' में नहीं हो सका था।
Author
डॉ. नारायणदत्त श्रीमाली
Book Details
ISBN: 9788122200768 | Format: Paperback | Language: Hindi | Extent: 128 pp | Subject: Astrology