काबुलीवाला और दुलहन: दो कहानियां

Kabuliwala aur Dulhan: Do Kahaniyan - Rabindranath Tagore

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रवीन्‍द्रनाथ ठाकुर (1861-1941) के बहुमुखी साहित्‍य को विलक्षण और सफल साधना कहा जा सकता है। वह केवल कुशल कथाकार ही नहीं थे बल्‍कि उन्‍होंने साहित्‍य की बहुत-सी विधाओं का संस्‍कार किया और उन्‍हें भारतीय संदर्भ और पहचान देकर विश्‍व-साहित्‍य के समकक्ष ला खड़ा किया।

टैगोर ने लगभग नब्‍बे कहानियों की रचना की; इनकी अधिकतम कहानियां अपनी औपचारिक समाप्‍ति के बाद भी हमारे मन में एक अजीब-सा कौतूहल और जिज्ञासा का भाव जगाये रखती हैं और इस बात का बार-बार अहसास कराती हैं कि कहानी भले ही खत्‍म हो गई उसका वक्‍तव्‍य या अनुरोध अब भी उसी तीव्रता के साथ मौजूद है... इतने वर्षों के बाद भी।

1913 में उन्‍हें उनके काव्‍य-संग्रह गीतांजलि के लिए साहित्‍य के नोबेल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया जिसका अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ।

Book Details

Format: eBook | Language: Hindi | Translator: Dhanyakumar Jain