हिन्‍दी की यादगार कहानियां

Hindi Ki Yaadgar Kahaniyan - Nilaabh Ashk

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19वीं और 20वीं सदी के महान लेखकों की कहानियों का उत्‍कृष्‍ट संग्रह।

इन कहानियों को चुनते समय इस बात का ध्यान रखा गया है कि इनकी विषय-वस्तु और शैती चाहे जैसी भी हो, प्रत्येक कहानी में कोई-न-कोई ऐसी विशेषता अवश्य हो जो उस कहानी को औरों से अलग करती हो, याद रखने लायक बनाती हो

इनमें कुछ कहानियाँ तो ऐसी हैं, जो बहुचर्चित रही हैं, लेकिन कुछ एक ऐसी भी हैं जो आम पाठकों और आलोचकों की नज़र से ओझल रही हैं अथवा साहित्यिक या ऐतिहासिक महत्त्व की हैं।

एक बात और! इन कहानियों को चुनते समय यह ख्याल भी रखा गया कि कहानी आम पाठक के दिमाग़ को ही नहीं, उसके दिल को भी छू ले, यानी मार्मिक हो। इसके साथ-साथ वह उस कहानीकार की चर्चित कहानियों में से हो और जीवन के किसी अनूठे पहलू को भी उद्घाटित करे। कुल मिलाकर कहानियां अपने समग्र रूप में एक ऐसी तसवीर पेश करें, जिसमें भारतीय जन-जीवन की झांबी नज़र आये।

अन्त में, यह गौरतलब है कि अच्छी रचनाएं अपने समय में ही चर्चित और प्रासंगिक नहीं होतीं, बल्कि आगे भी रचनाकारों को प्रेरित करती रहती हैं। हिन्दी की यादगार कहानियाँ' इस कसौटी पर खरी उतरती है।

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Editor

नीलाभ का जन्म (16 अगस्त, 1945 - ) मुम्बई में हुआ। पढ़ाई के दौरान ही लेखन की शुरूआत की। चार वर्ष बी. बी. सी. की विदेश प्रसारण सेवा में प्रोड्यूसर रहे।

इनके प्रमुख कविता-संग्रह 'संस्मरणारम्भ', 'अपने आप से लम्बी बातचीत', 'जंगल ख़ामोश है', 'उत्तराधिकार', 'चीजें उपस्थित हैं, 'शब्दों से नाता अटूट है', 'शौक का सुख', 'ख़तरा अगले मोड़ की उस तरफ़ है' और 'ईश्वर को मोक्ष' हैं।

इन्होंने शेक्सपियर, ब्रेश्ट तथा लोर्का के नाटकों के रूपान्तर किये जो बहुत बार मंच पर प्रस्तुत हो चुके हैं। रंगमंच के साथ-साथ टेलीविज़न, रेडियो, पत्रकारिता, फ़िल्म, ध्वनि-प्रकाश कार्यक्रमों तथा नृत्य-नाटिकाओं के लिए भी इन्होंने पटकथाएँ और आलेख लिखे ।

हिन्दी के साहित्यिक विवादों, साहित्यिक केन्द्रों और मौखिक इतिहास पर नीलाभ वी शोधपरक परियोजना 'स्मृति संवाद' (चार खण्डों में ) और ललित और वैचारिक गद्य के तीन संग्रह शीघ्र प्रकाशित होंगे। आप फ़िल्म, चित्रकला, जैज़ तथा भारतीय संगीत में खास दिलचस्पी रखते हैं ।

Book Details

ISBN: 9788122205237 | Format: Paperback | Language: Hindi | Extent:  224 pp