गोदान

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गोदान - प्रेमचंद का अन्तिम और आलोचकों - अनुसार उनका सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास - हिंदी साहित्य की उत्कृष्टता का उदहारण है |

"गोदान आज भी प्रासंगिक है और हमेशा हे रहेगा | आज भी गांव की स्तिथि दयनीय है | कृषक आज भी आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं। .. हमें मुंशी प्रेमचंद की कालजयी आवाज़ को अवश्य सुनना चाहिए" - गुलज़ार

Author

प्रेमचन्द (1880-1936) की गिनती हिन्दी साहित्य के महान् और लोकप्रिय लेखकों में की जाती है । उनका जन्म बनारस (वाराणसी) के पास लम्ही गांव में हुआ और प्रारम्भिक शिक्षा वहीं एक मदरसे में प्राप्त की ।

हिन्दी और उर्दू साहित्य में प्रेमचन्द को आज एक पथ-प्रदर्शक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में समाज की कुरीतियों एवं विषमताओं पर गहरा प्रहार किया और साथ ही इन्हीं ज्वलंत समस्याओं को लेकर प्रगतिशील दृष्टिकोण का परिचय भी दिया। उनकी अनेक रचनाओं की गणना कालजयी साहित्य के अन्तर्गत की जाती है।

Book Details

ISBN: 9788122204995 | Format: Paperback | Language: Hindi | Extent:  304 pp